११ आश्विन २०८०, बिहीबार

राष्ट्रीय मदरसा संघ ने पूर्व प्रधानमन्त्रीको दिया ज्ञापनपत्र ।।

15401443_679907112169004_766072849_nकपिलबस्तुनेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और नये संविधान समिति के अध्यक्ष को राष्ट्रीय मदरसा संघ नेपाल का ज्ञापन दिया है ।
 
मदरसों की उपाधि प्राप्त करने वालों को भी वही अवसर दिए जाएं जो एक शास्त्री और आचार्य को प्राप्त हैं। इस समय नेपाल अपने नये संविधान के संशोधन और उसे लागु करने की प्रतिकिर्या को लेकर एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। आए दिन कोई न कोई पार्टी अपनी मांगों को लेकर पुरजोर विरोध, प्रदर्शन, धरने और भूख हड़ताल कर रही है। क्योंकि लोगों ने इस बात को महसूस कर लिया है कि हम अगर अब भी नहीं जागे तो इसका परिणाम हमारी आने वाली पीढ़ियों को भुगतना होगा।    
      इसलिए लोग अपनी जिम्मेदारियों को महसूस करते हुए हर तरीके से अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं। इस स्थिति में राष्ट्रीय मदरसा संघ नेपाल भी मुस्लिम अल्पसंख्यक अधिकारों की प्राप्ति के लिए अपनी ओर से कुछ महत्वपूर्ण प्रयास करता रहा है, जिनमें देश की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात करके सभ्य और शांति से उन तक अपनी मांगें पहुंचाना भी है।
  इसी सन्दर्भ में संगठन के एक पर्तिनिधि मंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री और नए संविधान समिति के अध्यक्ष डॉ. बाबूराम भट्टराई, पूर्व महिला एवं बाल कल्याण और सामाजिक कल्याण मंत्री दान बहादुर चौधरी, और संयुक्त राष्ट्र में एक लम्बे समय तक देश के लिए अपनी सेवा दे चुके और हाल राजनीति में सक्रिय डॉक्टर सुरेंद्र चौधरी से एक कार्यक्रम के दौरान उन से भेंट किया तथा डॉ. बाबु राम भट्टाराई की सेवा में कुरान करीम का नेपाली भाषा में अनुवादक नुस्खा और साथ में एक सुंदर गुलदस्ता पेश किया, इसके बाद उन्हें मुसलमानों के अधिकार और उनकी मांगों पर आधारित एक ज्ञापन सौंपा। कुरान करीम का अनुवादक नुस्खा उपरोक्त अन्य अतिथियों को भी दिया गया।
      पूर्व प्रधानमंत्री से अपनी बातचीत में संगठन के अध्यक्ष डॉ. अब्दुल ग़नी अल्क़ूफ़ी ने मुस्लिम अल्पसंख्यक के हवाले से नए संविधान में दिए गए अधिकारों और मुस्लिम आयोग के गठन के संबंध में पूर्व परधान मंत्री महोदय को धन्यवाद दिया, साथ ही कहा कि सिर्फ इतना काफी नहीं है बल्कि मुस्लिम आबादी के आधार पर सभी क्षेत्रों में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए, और देश के निर्माण एवं तरक्की के लिए सभी सरकारी नौकरियों से मदरसों और उनसे संबंधित लोगों को उसी तरह लाभान्वित होने का अवसर प्रदान किया जाए जैसे एक शास्त्री और आचार्य को प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर मदरसों की उपाधि प्राप्त करने वालों को अवसर दिया जाए और विशेष रूप से खाड़ी देशों में कूटनीतिक मामलों के लिए उनकी सेवाएँ ली जाएं जो वास्तव में उनसे बेहतर कोई और अंजाम नहीं दे सकता तो वह निश्चित रूप से देश और राष्ट्र के लिए नेक नामी और गरिमा को बढ़ाने के स्रोत बनेंगे।
      कार्यक्रम में डॉ. बाबूराम भट्टाराई के भाषण के बाद संगठन के महासचिव मौलाना मशहूद खान नेपाली को भी अपनी बात कहने का अवसर दिया गया। उन्होंने श्री डॉक्टर भट्टाराई की निडर और बेबाक शैली की ओर इशारा करते हुए उस घटना का उल्लेख किया जब उन्होंने अपनी यूरोप की एक यात्रा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि अगर आज मतदान हो जाए तो मैं फिलिस्तीन के पक्ष में और इस्राएल के खिलाफ वोट देंगे। उनके इस वाक्य ने नेपाल ही क्या पूरे इस्लामी देशों बल्कि सभी न्यायपूर्ण और सामान्य लोगों के दिलों को जीत लिया था, उन्होंने कहा कि हम उनसे इसी बेबाकी और साहस का प्रदर्शन खुद अपने देश में मुस्लिम अल्पसंख्यक के अधिकार की प्राप्ति के संदर्भ से रखते हैं।
    राष्ट्रीय मदरसा संघ के इस प्रतिनिधिमंडल में मौलाना ज़हीर अहमद बरेलवी, अब्दुल रहीम शाह, मोहम्मद आरिफ और अकील अहमद इसहाक आदि शरीक थे।

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