१२ बैशाख २०८१, बुधबार

धर्म के रक्षा एकता से हाेई वर्गीकरण से नाई ।।।

 

नेपाल जाइसन बहुजाति , बहुभाषी अब बहुसांस्कृतिक देश मा सबका अापन धर्म पति अास्था है । सब अापन तिउहार पर्व हर्षाेल्लास से मनावत हयं , लेकिन खास कईके मधेशी समाज मे रहय वाले दलित अव पिछडि जातिका धर्म कय कुछ ठेकेदार दिगभ्रमित करैम लाग हयं जउन सबका मालुम हय ,अब भाविष्यमा घातक साबित हाेई सकत हय । दलित समुदाय के लाेगनमा पहिले अार्थिक अव सामाजिक अवस्था कमजाेर हाेयक कारण शिक्षा अब जानकारी कय कमी रहत रहा लेकिन अाज समय बदलत जात हय । नि:शुल्क शिक्षा , छात्रवृत्ति ,दलित भत्ता लगायत कय सरकारी सहुलियत के कारण यह समाज कय बिकास हाेतै जात हय । हमरेन कय हिन्दु धर्म मा दलित समुदायका देखेक नजरिया बदलय लाग हय अव लाेगेन मे अपने धर्म कय पिछडा जाति ,समुदाय के प्रति साेचवाै बदलत जायक कई उदाहरण हय । हमरे हिन्दु समाज कय हर तिउहार ,पर्व मा जउन दलित अब पिछडि जाति ,समुदायमा पुजा पाठ कय भावना नाइ बिकसित हाेय पाय रहा , वनका पुजा पाठ सिखावैक अब वहसे हाेय वाले फायदा से परिचित करेक समय अाय गवा हय । हिन्दु धर्म मा हरतर्फ से सेंध लागेक शुरु हाेई गवा हय जउन सबके नजर मे हय । हिन्दु धर्म मे कट्टरता नरहेक नाते लाेकतान्त्रिक हवा मे दुसरे धर्मका अपनवै लागे है लाेग । यतना भयानक अवस्था बनत जात हय कि धर्मकय संरक्षण करेय कि धर्मान्तरणका राेकय । दलित समुदायका भी फाेडयक काेशिश शुरु हुई गवा हय , यह समुदायका भी हिन्दू धर्मकय त्रृटि हटाय कय अापन बनावैक समय अाय गवा हय ।
दलित उत्थान के खातिर सामाज का नया तरिका से परिभाषित करैक पडा , साेच बदकय शिक्षा के तरफ समुचे समुदायका अग्रसर करेक पडी तब जाएक शुद्ध रुपमे हिन्दू धर्मका मजबुत कय सका जात हय । एक शरीर मे सफा अब गन्दा दुनाे भाग रहत हय , जैसे सफा अंग अगर गन्दा हाेई जाय ताे धाेएकय साफ करा जात है जेसे काैउनाे राेगव्यधि नपकडै वईसे ही गन्दा अंगका भी सफा अंग बय जैसन सफा रखा जात है अब शरीर से काट कय फेका नाई जात हय । ठिक वहै तरह दलित समुदाय कय लाेग अशिक्षा अव कुछ हिन्दुन कय अगुवन से अपहेलित हाेयक कारण असमंजस मे अाएक दुसरे धर्मकय शरण लेत हैं । वन्है सामन व्यवहार नमिलेक कारण जहाँ सम्मान मिलत हय उहीँ जात हयं ,यही के कारण हिन्दु धर्म रुपी एक शरिर के हर अंगका वतनै महत्व दैईके साफ सुग्घर रखैक समय कय माग हय । अगर यह तर्फ ध्यान नाई दैई गय ताे अावै वाले समय मे देश कय समाज मा अापन नेतृत्व खाेजेक लिए भी अान्दाेलन ताे हाेतै हय , जाति दंगा भी हाेयक शुरु हाेई जायक सम्भावना प्रबल हाेत जात हय ।
खास कईके नेपाल के तराई मे रहय वाले हिन्दु धर्मावलम्बी मे जातियता बढतै जायक कारण दलित समुदाय अटाय नाई पावत हय अब अपनेका अलग समझे लाग हय , लेकिन अइसन समझका बदले के खातिर सब सामाज के अगुवनका अागे अावैक पडी ।
-अंकुश कुमार श्रीवास्तव
कपिलबस्तु

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